Traditional Software Development किसी भी सॉफ्टवेयर को डिज़ाइन और डेवेलप करने की प्रक्रिया है। यह सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग का महत्वपूर्ण प्रकार है।
What is Traditional Software Development in Hindi
इस Software Development का इस्तेमाल Simple सॉफ्टवेयर को develop करने के लिए किया जाता है यह एक Software Development Process है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से उन सॉफ्टवेयर को develop करने के लिए किया जाता है जिनमे security और अन्य सॉफ्टवेयर फैक्टर्स बहुत महत्वपूर्ण नही हो। इसका इस्तेमाल नए लोगों द्वारा ज्यादा किया जाता है क्योंकि यह किसी भी सॉफ्टवेयर को develop करने की सबसे आसान और सरल प्रक्रिया है। इसमें निम्नलिखित 5 phases होते है।
Traditional Software Development:
- Requirements Analysis
- Design
- Implementation
- Coding & Testing
- Maintenance
1. Requirements Analysis:
- इस Software Development में Requirements analysis सबसे पहला phase होता है जिम में projects की Requirements के अनुसार उसके goals और needs को समझा जाता है।
- इस Software Development में हम इस phase का उपयोंग सबसे पहले करते है ताके हम जो software बना रहे है। उस का development सही direction में हो और इस की सहायता से हम developers की Requirements को भी पूरा कर पाते है।
2. Design:
- Design, Software Development का दूसरा phase होता है जिसमें Architects और designers मिल कर Software का detailed blueprint बनाते है। जिसमें Software की हर छोटी से छोटी detail और software के हर element पर focus किया जाता है।
- Software Development के designing phase में जो भी decisions लिए जाते है उन का direct impact software के efficiency, scalability, and maintainability पर होता है। अगर हम designs solid और पूरी planning से करते है तो implementation phase में कम complications आती है।
3. Implementation phase:
- Implementation phase, Traditional Software Development का वह stage होती है जंहा हम इससे पहले developers के द्वारा जो designs और plans बनाये गए थे उसे real software में convert करते है।
- इस Software Development में Implementation phase तीसरे नंबर का phase होता है जिस में हम developers के द्वारा किये गए designs और planning के अनुसार actual coding और development करते है।
4. Coding and Testing:
- Coding and Testing, Software Development का fourth और सबसे important phase होता है। इस phase में हम software designs और planning को coding की सहायता से real software में तो convert करते है और साथ ही में हम इस phase में उस software की testing भी है।
5. Maintenance:
- Maintenance phase, Software Development का सबसे last phase है जिस में bugs fix, optimizations, और ongoing updates होती है साथ ही इस phase में end-users की जरूरत के हिसाब से भी maintain किया जाता है।
Advantages of Traditional Software Development
- Well-Established Methodology: Traditional software development एक तरह से Well-Established Methodology का पालन करता है। जो हर किसी को आसानी से समझ आ जाती है और यह documented भी होती है।
- Clear Requirements: इस approach में यह ensure किया जाता है की developers के द्वारा तैयार किया गया final product, custumer की जरूरतों को सही तरीको से पूरा करे।
- Structured Approach: Traditional software development एक तरह से Structured Approach को follow करता है जिस की मदत से यह ensure किया जाता है की devlopers द्वारा जो project बनाया गया है वह सही track पर stay है या नहीं।
- Proven Success: यह एक तरह से Traditional software development की सफलता का सिद्ध किया हुआ track record है और इस का इस्तेमाल बहुत सारी industries में व्यापक रूप से किया जाता है।
- Quality Control: यह एक method है जिस का उपयोग Traditional software development में किया जाता है जिस testing और quality control processes शामिल है जिस की सहायता से final product की high quality बनाये रखने में मदत मिलती है।
Disadvantages of Traditional Software Development
- Slow Process: इस software development में planning और design phase बहुत ही ज्यादा बड़े होते है जिसके कारण इस development में process बहुत ही ज्यादा slow है।
- Lack of Flexibility: इस development की Flexibility बहुत ही कम होती है और साथ ही इस में एक बार software की development शुरू होने के बाद इस में requirements और design को बदलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है।
- High Cost: Traditional software development की कीमत बहुत ज्यादा होती है खास कर उस समय जब project बहुत ही बड़ा और कठिन होता है।
- Limited Customer Involvement: इस development में custumer involvement सिर्फ उस समय होती है जब developers, planning और design phases पर काम कर रहे होत्ते है। जो बाद में final product के तैयार होने के बाद उस product की actual जरूरत के हिसाब से मैच नहीं होती।
- Limited Innovation: इस devlopment में conservative और risk बहुत कम होने के कारन इसमें devlopment के ideas और innovation का scope बहुत ही कम होता है।
निवेदन:-उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट Traditional Software Development in Hindi अच्छी लगी होगी और इसे पड़ने के बाद आपको इस विषय से सम्बंधित सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अगर फिर भी कोई सवाल या सुझाब हो तो आप हमें comment के जरिए बता सकते है।