Sensors in Internet of Things (IoT) in Hindi – IoT में सेंसर क्या है?

नमस्कार, दोस्तों आपका स्वागत है The Hindi Study के एक और नए ब्लॉग पोस्ट में आज हम इस पोस्ट में Sensors in Internet of Things (IoT) in Hindi (IoT में सेंसर क्या है?) से सम्बंधित कुछ चर्चा करने बाले है। आशा करता हूँ कि आपको The Hindi Study के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिलेगा और आपको यह ब्लॉग पसंद आएगी तो चलिए शुरू करते है, और जानते है। Sensors in Internet of Things (IoT) in Hindi (IoT में सेंसर क्या है?) के बारे में।

What are Sensors in Internet of Things (IoT) in Hindi – IoT में सेंसर क्या है?

आम तौर पर, IoT devices जब कभी भी architecture तैयार किया जाता है तो उस समय sensors की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। Sensors का उपयोग अलग – अलग प्रकार की devices में उनकी अलग – अलग प्रकार की conditions को sense करने के लिए किया जाता है। Sensors हमेशा special measurement लेकर उपयोग किए जाने बाले output देता है, जिससे कारण IoT system को सही Methods से जवाब देने में help मिलती है।

Physical parameter को capture करने में भी Sensors का उपयोग होता है क्योकि यह उन signal को ऐसे signal में convert कर देता है जो बहुत ही आसानी से process किए जा सके जैसे -: mechanical, electrical, और optical आदि।

sensor को इस लिए design किया गया है। ताकि इस की help से हम किसी भी तरह की devices या material की characteristics का पता लगा सके और साथ ही किसी specific physical quantity की attendance को पहचान सके। Sensors हमेशा signals मे ही output देता है जिसे बाद में change करके human-readable के form में कर दिया जाता है। जैसे -: characteristics में परिवर्तन, capacitance, impedance में परिवर्तन, resistance, आदि।

Transducer

  • Devices के signals को physical form से दूसरे फॉर्म में बदलने के लिए Transducer का उपयोग किया जाता है, यानि किसी भी एक energy type को दूसरे energy type में बदलता है।
  • Transducer में बहुत से ऐसे systems है जिन का actuator के रूप में उपयोग होता है। जिसमे यह energy को specific tasks में convert करके उसे perform करने में help करता है।
iot hardware diagram
Internet of Things (IoT) Hardware Diagram

Characteristics of Sensors

Sensors की Characteristics दो प्रकार की होती है जिन के बारे में हम ने निचे बताया है।

  1. Static
  2. Dynamic

Static characteristics

Static characteristics में यह explain किया जाता है कि जब कभी भी कोई system एक steady state condition पर पहुंच चुका होता है तो कैसे एक sensor के input को बदल जाने के कारण उस का output change हो जाता है।

Sensitivity:

इसका मतलब यह होता है कि जब किसी System के input parameters को थोड़ा सा बदल दिया जाता है तो उस समय System का response कितना change हो जाता है। system के बदलते response का measure हम सेंसर के output characteristics curve के slope से कर सकते है। Basically, अगर देखा जाए तो sensitivity किसी भी प्रकार के change का छोटा सा amount होता है जो किसी भी instrument की reading में change ला सकता है।

Range:

Range के जरिए ही हमें पता चलता है की किस range में कोन सा sensor सही तरह से sense करने का काम कर सकता है, यानि के वह lowest और highest value जिसे sensor के द्वारा detect किया जाता है। इस में जो range बताई जाती है उस range के बहार sensor काम नहीं करता है और किसी भी प्रकार का कोई response नहीं मिल पाता है।
Example, एक Resistance Temperature Detector (RTD) temperature को -200°C से लेकर 800°C तक measure कर सकता है। 

Accuracy:

Static characteristics में Accuracy का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है की जब कोई भी measuring instruments कोई true value देता है तो उस का result कितने close होता है। यह absolute और relative errors की help के जरिए instruments के errors को measure करके उसे access करता है। और साथ ही Accuracy यह भी दिखाने में help करता है की कोन सा output, higher standard के comparison में कितना सही है। Accuracy Sensor  में absolute error का मतलब किसी भी measured value और true value के बीच difference होता है। और measured value और true value के ratio का पता relative error के जरिए पता लगाया जाता है।

Drift:

Drift में यह देखा जाता है, की जब किसी reading को ज्यादा लम्बे समय तक रखा जाता है तो इस वक्त एक specific reading से किसी Sensor का measurement कितना differ करता है।

Repeatability:

Repeatability का उपयोग Static characteristics में यह पता लगाने के लिए किया जाता है की जब भी measurements एक sequence में होता है। तो उन के बीच जो भी deviation होता है, तो वो सभी किसी same conditions के under होना चाहिए। Repeatability में Measurements का समय या duration कितना कम होना चाहिए। ताकि जो भी long-term drift का जो impact है उसे काम किया जा सके।

Resolution:

Resolution sensor को select करते समय एक बहुत ज्यादा जरूरी specification होती है। इस sensor में जितनी ज्यादा resolution होगी उतनी ही ज्यादा बेहतर precision मिलेगी। जब भी इसमें measurement error zero होता है तो इसे threshold कहा जाता है।

Linearity:

जब किसी सीधी line में sensor की value का deviation होता है तो उसे Linearity कहा जाता है। और calibration curve का उपयोग करके हम Linearity का पता लगा सकते है। जो output amplitude को input amplitude के साथ static conditions में plot करता है। इस में Curve का slope जीतनी सीधी लाइन के जैसा होता है, उतनी ही ज्यादा sensor की Linearity अच्छी होती है।

Precision:

एक measuring instrument की capacity को जब कोई sensor बार – बार किसी same quantity को किसी same conditions में measure करे और उसकी same reading दे, तो उसे precision कहते है। Precision का मतलब यह होता है कि जब भी किसी एक measurement के बाद किसी दूसरे measurement को भी उसके साथ match करते है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हमेशा उसकी value true के करीब हो। ये measurement के बीच के Variation से संबंधित होती है। Precision का होना accuracy के लिए बहुत जरूरी होता है, लेकिन यह अपने आप में कभी किसी accuracy को ensure नहीं करता है।

Dynamic Characteristics

  • Zero-order system: इस system मे output सिधे ही बिना किसी delay के input signal का जवाव दे देता है इस मे किसी भी तरह के कोई energy store करने वाले elements नहीं होते है।
    Example: linear, potentiometer measure and rotary displacements.
  • First-order system: इस में output धीरे – धीरे अपने फाइनल value के पास आता है, ज्यादा तर ऐसे elements के साथ energy को स्टोर और dissipate करते है।
  • Second-order system: इस में सबसे पहले Sensor के output का response थोड़ा oscillate करता है फिर उसके बाद steady state पर आता है।

निवेदन :- उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट Sensors in Internet of Things (IoT) in Hindi (IoT में सेंसर क्या है?) अच्छी लगी होगी और इसे पड़ने के बाद आपको इस विषय से सम्बंधित सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अगर फिर भी कोई सवाल या सुझाब हो तो आप हमें comment के जरिए बता सकते है।

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