अगर तुम एक computer user हो, तो तुमने कभी न कभी Operating System (OS) का नाम तो सुना ही होगा। पर क्या तुमने यह सोचा है कि ये OS क्या होता है और यह किस तरह से computer system को manage करता है?
तो आज के इस ब्लॉग में हम Operating System से संबंधित कुछ जानकारी प्राप्त करने वाले है जैसे इसके functions, characteristics, advantages और disadvantages क्या क्या होते है आदि को detail से समझेंगे।
टॉपिक
- 1 What is Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?
- 2 Types of Operating Systems in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
- 3 History of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास
- 3.1 1. First Generation (1940s – Early 1950s) – Manual Processing
- 3.2 2. Second Generation (1955 – 1965) – Batch Processing System
- 3.3 3. Third Generation (1965 – 1980) – Multiprogramming & Time-Sharing
- 3.4 4. Fourth Generation (1980 – 2000) – GUI-Based & Personal Computers
- 3.5 5. Fifth Generation (2000 – Present) – Mobile OS & Cloud Computing
- 4 Characteristics of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम के विशेषताएं
- 5 Advantages of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम के फायदे।
- 6 Disadvantages of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम की हानिया।
- 7 What is Kernel in Operating System in Hindi?
- 8 निष्कर्ष (Conclusion)
What is Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?
OS का पूरा नाम Operating System (ऑपरेटिंग सिस्टम) होता है यह एक तरह का सॉफ़्टवेयर होता है जो कंप्यूटर और यूज़र के बीच एक Interface की तरह काम करता है।
क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के Hardware और Software दोनों के बीच एक ब्रिज का काम करता है, इसलिए इसे “System Software” के नाम से भी कहा जाता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के Hardware resources को मैनेज करता रहता है और साथ ही एप्लिकेशन प्रोग्राम्स run करने के लिए भी एक Platform प्रदान करता है।
अगर किसी कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम उपस्थिन नहीं होगा तो वह किसी काम का नहीं होता है क्योकि Operating System की सहायता से ही Hardware devices जैसे Processor, CPU, RAM, और Storage आदि को मैनेज किया जाता है और इसकी मदत से ही कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर को run कराया जाता है, यही कारण है की अगर किसी कंप्यूटर में OS उपस्थिन नहीं होता तो वह किसी काम का नहीं होता है।
आसान भाषा में, कहे तो Operating System जो है वह कंप्यूटर का मस्तिष्क (Brain) होता है यह कंप्यूटर की सभी डिवाइसों को एक साथ मिलकर काम करने के लिए Instructions देता ताकि वह आसानी से एक – दूसरे के साथ मिलकर काम कर सके।
Types of Operating Systems in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
OS को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा गया है:
- Character User Interface (CUI)
- Graphical User Interface (GUI)
Character User Interface (CUI)
- CUI OS यूज़र-फ्रेंडली नहीं होता है।
- अगर इसे ऑपरेट करना है तो आपको उसके लिए कमांड टाइप करनी पड़ती है।
- उदाहरण: DOS (Disk Operating System).
Graphical User Interface (GUI)
- GUI यूज़र-फ्रेंडली होता है।
- इसे ऑपरेट करने के लिए आपको किसी भी तरह की कमांड का उपयोग नहीं करना पड़ता है, क्योकि इसमें माउस और क्लिकिंग का उपयोग किया जाता है।
- उदाहरण: Windows, macOS, Linux (GUI versions).
History of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास
Operating Systems का विकास 1950s से लेकर अब तक बहुत तेजी से होता जा रहा है। यहाँ पर हमने OS के डेवेलोपमेंट को उदहारण सहित समझाया है की किस तरह इसका विकास होता चला आ रहा है:
1. First Generation (1940s – Early 1950s) – Manual Processing
- इस दौर के जो computers हुआ करते थे उनको बिना किसी Operating System (OS) का उपयोग करे चलाया जाता था।
- अगर उस समय कोई व्यक्ति कंप्यूटर का इस्तेमाल करता था तो उस User को Punch Cards की सहायता से programs इनपुट करने पड़ते थे।
- कंप्यूटर को चलने के लिए जितनी भी प्रोसेस होती थी उन सबको एक – एक करके manually execute किया जाता था।
- यह प्रक्रिया काई ज्यादा slow और error-prone होती थी, जिसकी वजह से काफी ज्यादा समय खर्च होता था।
- इन Computers का उपयोग मुख्य रूप से scientific calculations को करने के लिए किया जाता था, और इनको सिर्फ Experts के द्वारा ही चलाया जा सकता था।
- ये जो कंप्यूटर थे वह Vacuum Tubes पर आधारित हुआ करते थे, जो अधिक बहुत ज्यादा power consume करते थे और overheat बहुत जल्दी हो जाते थे। इनके अलाबा इनका साइज भी काफी ज्यादा बड़ा होता था।
- Example: First Generation (1940s – Early 1950s) ऑपरेटिंग सिस्टम का उदहारण ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer) था, जिसे 1946 में develop किया गया था।
2. Second Generation (1955 – 1965) – Batch Processing System
- ये वो समय है जब Batch Operating System का विकास हुआ था, जिसके बाद कंप्यूटर पहले से काफी तेज़ और ऑटोमेटेड हो गए।
- Batch Operating System में एक साथ multiple programs को run किया जाने लगा, जिससे execution का जो समय था वह कम हो गया।
- इसके आने से Manual intervention भी कम हो गई और इसके उपयोग से processing speed काफी हद तक बढ़ गई।
- इस पीढ़ी के जो कंप्यूटर हुआ थे वह Transistors पर आधारित हुआ करते थे, जो Vacuum Tubes से ज़्यादा तेज़, छोटे और energy-efficient थे।
- अब इसके आने के बाद high-level programming languages जैसे FORTRAN और COBOL का उपयोग किया जाने लगा।
- Example: इस पीढ़ी का एक उदाहरण IBM Mainframe OS था, जिसे business और scientific applications में इस्तेमाल किया जाता था।
3. Third Generation (1965 – 1980) – Multiprogramming & Time-Sharing
- यह वो दौर है जब Multiprogramming और Time-Sharing OS का विकास हुआ था।
- अब इस दौर के बाद एक computer एक साथ multiple users और multiple processes को handle करने लगा।
- इसके आने के बाद CPU utilization बहुत बढ़ गया और processing speed में भी कुछ सुधार हो गए।
- इस OS के आने के बाद ही पहली बार Interactive Computing संभव हो पाया, जिससे real-time processing आसान हो पाई।
- Disk storage का उपयोग बढ़ने से data access भी तेज़ हो गया।
- इसी समय पर UNIX Operating System (1969) विकसित हुआ, जिसने आगे चलकर modern OS का Foundation रखा।
- Example: इस पीढ़ी के प्रमुख उदाहरण UNIX और MULTICS थे, जिनका उपयोग बड़े computing systems में किया जाता था।
4. Fourth Generation (1980 – 2000) – GUI-Based & Personal Computers
- ये वही दौर है जब Microsoft और Apple ने अपने – अपने खुद के Operating Systems को इंट्रोडक्शन किया था।
- इस दौर में Microsoft ने अपने खुद के OS Windows को introduce किया, जो Graphical User Interface (GUI) फीचर के साथ आया और इसे पूरी तरह user-friendly बनाया गया था।
- और Apple ने भी इसी दौर में अपने ऑपरेटिंग सिस्टम MacOS को डेवेलोप किया, जो पूरी तरह से graphical interface का एक advanced version था और इसके अलाबा यह काफी बेहतर performance और security प्रदान करता था।
- यही नहीं इस दौर में Linux OS को भी develop किया गया था, जो एक open-source platform है और जिसे उस समय में developers और enterprises के बीच काफ़ी Popularity मिली।
- इस समय के जो Operating Systems उन्होंने networking, security, और cloud integration जैसी नई – नई technologies को भी अपनाया था।
- Example: इस पीढ़ी के प्रमुख उदाहरण हैं: Windows 95, MacOS, और Linux, जिनको आज के समय में भी अलग-अलग क्षेत्रों में उपयोग किए जा रहा हैं।
5. Fifth Generation (2000 – Present) – Mobile OS & Cloud Computing
- इस दौर में ही Smartphones और tablets के लिए Android और iOS जैसे Operating Systems को विकसित किया गया था, जो user-friendly interface और high performance प्रदान करते हैं।
- इसके दौर के बाद ही Cloud-based OS में डाटा को remote servers पर स्टोर किया जाता है, जिसके कारण storage की जो limitations होती है वह काफी कम हो जाती हैं और data accessibility बढ़ती है।
- इस दौर के बाद ही AI और Machine Learning integrated ऑपरेटिंग सिस्टम्स का डेवलपमेंट बहुत ही ज्यादा तेजी से होता जा रहा है, जिसकी मदद से voice recognition, automation, और personalization जैसी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो रही हैं।
- अब Operating Systems में एक अच्छी सिक्योरिटी, faster updates, और seamless connectivity आदि जैसी कई advanced features को जोड़ा जा रहा हैं।
- Example: उदाहरण: Windows 10/11, macOS Monterey, Android, iOS, Chrome OS।
Characteristics of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम के विशेषताएं
Operating System की विशेषताएं निम्नलिखित है:
1. Memory Management
Operating System कंप्यूटर की मेमोरी को efficiency manage करता है। जब भी प्रोग्राम या प्रोजेक्स की तरफ से कोई रिक्वेस्ट आती है तो यह memory allocation और deallocation को नियंत्रित करता है, जिससे processes और programs को उनकी आवश्यक के हिसाब से एक अच्छा memory space मिल सके।
साथ ही यह भी देखता रहता है कि कोन सी मेमोरी के कोन से भाग का उपयोग कोन से प्रोग्राम के लिए किया गया है।
इसके अलावा OS यह भी सुनिश्चित करता है कि मेमोरी का efficient utilization हो सके और जितनी भी unused memory है उसको पूरी तरह से free किया जा सके।
2. Processor Management
OS, CPU scheduling की सहायता से एक साथ कई सारे यानी multiple processes को execute करने का काम करता है।
जब भी किसी प्रोग्राम को प्रोसेसिंग की जरूरत पड़ती है तो यह उसको CPU allocate करने का काम करता है और जब उस प्रोग्राम के लिए CPU की जरूरत पूरी तरह खत्म हो जाती है तो यह उसे deallocate भी करता है।
इसके अलावा यह multi-tasking को भी काफी हद तक smooth बनाता है और साथ ही CPU utilization को भी maximize करता है।
इसके माध्यम से ही यह निर्धारित किया जाता है, कि कौन-सी process को सबसे पहले चलाया जाएगा और इसमें कितने समय तक CPU resources का उपयोग किया जाएगा।
3. Device Management
Operating System, hardware devices जैसे keyboard, mouse, printer, और storage devices को efficiently manage करता है, यानी इसके पास हर एक डिवाइस की जानकारी उपलब्ध होती इसलिए इसे I/O controller भी कहा जाता है।
यह drivers की सहायता से इन सभी devices और system software दोनों के बीच communication स्थापित (Established) करने का काम करता है।
इसके अलावा यह भी सुनिश्चित करता है कि कोन से प्रोग्राम के लिए कौन सी डिवाइस प्रदान की जाएगी और कितने टाइम के लिए की जाएगी।
साथ ही OS यह भी सुनिश्चित करता है कि एक ही समय में कई सारे devices बेहतर और एक अच्छे तरीके से काम करें।
4. File Management
OS, files और directories को व्यवस्थित तरीके से store, access, modify और delete करने की सुविधा प्रदान करता है।
यह file permissions, access control, और storage allocation को नियंत्रित करता है, जिससे data security और organization काफ़ी हद तक बेहतर होती है।
इसके अलावा, OS file system structures को भी मैनेज करने का काम करता है, ताकि इसकी मदद से efficient data retrieval संभव हो सके।
5. Security (सुरक्षा)
यह सिस्टम में उपस्थित किसी भी तरह के प्रोग्राम या डेटा को unauthorized access बचाने का भी काम करता है, जिसके लिए यह कई सारे अलग – अलग तरीकों का उपयोग करता है जैसे: authentication, encryption, और firewall के अलावा इसमें पासवर्ड भी शामिल होता होता है।
यह user authentication mechanisms को लागू करता है, जैसे passwords, biometric authentication, और access controls, ताकि डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहे और इसे सिर्फ authorized यूजर ही इसे एक्सेस कर सकें।
6. Reliability (विश्वसनीयता)
OS, system crashes आदि जैसी समस्याओं को संभालने के लिए error handling और recovery mechanisms प्रदान करता है।
यह काफी ज्यादा reliable होता है क्योंकि इसमें किसी भी virus था जो भी हानिकारक codes होते है उनको detect करने की क्षमता होती है।
यह डेटा को सुरक्षित रखने के लिए backup और restore जैसी सुविधाओं का उपयोग करता है।
7. Cost (लागत)
Operating Systems की cost उनके प्रकार और उपयोग के आधार पर सुनिश्चित की जाती है। कुछ Operating System जैसे Linux और Ubuntu पूरी तरह से free और open-source होते हैं।
जबकि Windows और macOS जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम को अगर उपयोग करना है तो उसके लिए आपको इन्हें purchase करने आवश्यकता पड़ती है।
इसके अलावा, कुछ ऐसे enterprise-level वाले operating systems होते है जिनको subscription-based मॉडल पर उपलब्ध कराया जाता है जैसे, Windows Server और Red Hat Enterprise Linux, आदि।
8. Ease of Use (उपयोग में सरलता)
एक अच्छा OS user-friendly interface प्रदान करता है, जिसकी सहायता से उपयोगकर्ता आसानी से navigate कर सकते है।
Graphical User Interface (GUI) वाले जो ऑपरेटिंग सिस्टम होते है उनका उपयोग करना बहुत ज्यादा आसान होता है जैसे, Windows और macOS आदि।
जबकि Command Line Interface (CLI) पर जो ऑपरेटिंग सिस्टम आधारित होते है उनको चलने के लिए आपको commands का उपयोग करना पड़ता है जैसे Linux Terminal और DOS आदि।
आजकल, touchscreen OS और voice-controlled OS भी विकसित हो रहे हैं, जिससे उपयोग और भी ज्यादा आसान हो गया है।
Advantages of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम के फायदे।
- Operating System जो है वह हमेशा GUI और CLI को support करता है, जिनकी सहायता से यह यूजर के लिए सिस्टम को एक बहुत आसान और सिंपल दिखने वाला सिस्टम बनाता है।
- OS की एक सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये एक साथ कई सारे यानी multiple tasks को efficiently संभाल सकता है।
- ऑपरेटिंग सिस्टम जो होता है वह किसी भी तरह के unauthorized access से बचने के लिए password protection, firewall, और encryption आदि जैसी सेवाएं प्रदान करता है।
- अगर हमें किसी operating system को update करना होता है तो हम उसको बहुत ही आसानी से अपडेट कर सकते है।
- OS का काम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों के बीच एक smooth और आसान connection प्रदान करना होता है।
- OS की मदद से हम किसी भी game या software को आसानी से install कर सकते है और फिर उन्हें बाद में आसानी से बिना किसी समस्या के चला सकते है।
- इसकी सहायता से हम एक ही डाटा को कई सारे युजर्स के साथ शेयर कर सकते है।
- कुछ ऐसे भी operating system होते है जो पूरी तरह free होते है यानी अगर हम उनका उपयोग करना होता है तो हमें किसी तरह का चार्ज नहीं देना पड़ता है, जैसे Linux भी एक open source ऑपरेटिंग सिस्टम है।
Disadvantages of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम की हानिया।
- कुछ ऐसे ऑपरेटिंग सिस्टम होते है RAM और CPU की पावर को बहुत की ज्यादा consume करते है, इस तरह के जो OS होते वह उन Computers के लिए काफी ज्यादा परेशानी खड़ी कर सकते है जो पहले से ही काफी slow होते है।
- अगर OS को ठीक समय पर update नहीं किया जाता है तो इसका फायदा virus और hackers system को damage करने के लिए उठा सकते है।
- Windows और MacOS पूरी तरह paid होते है यानी अगर आपको इन्हें use करना है तो आपको इनका license खरीदना पड़ता है।
- OS में अगर किसी तरह के bugs या फिर errors आ जाते है तो उसकी वजह से system पूरी तरह crash हो सकता है, इसके कारण डेटा loss हो सकता है।
- इसमें कुछ OS ऐसे होते है जिनको नए युजर्स के लिए समझना बहुत आसान होता है जैसे Linux.
What is Kernel in Operating System in Hindi?
Kernel जो है वह किसी कंप्यूटर के Operating System का core होता है, जो हमेशा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच एक ब्रिज की तरह काम करता है। इसका मुख्य काम हमेशा इन दोनों के बीच होने बाली communication को manage करना होता है, ताकि दोनों आपस में smoothly interact कर सके।
System के हार्ट में उपस्थित, Kernel Hardware-Software के बीच coordination को लागू करने एक बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यंहा पर जिस तरह Kernel किसी सिस्टम एक core होता है, ठीक उसी तरह Shell इसका outermost layer होता है, जो हमेशा यूजर को Operating System के साथ interact करने की सुबिधा प्रदान करता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Operating System एक कंप्यूटर सिस्टम का मुख्य हिस्सा होता है, यह बिना किसी परेशानी या दिक्कत के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच तालमेल बनाए रखने का काम करता है। OS की सहायता से हम अपने मोबाइल या कंप्यूटर को आसानी से उपयोग कर पाते है।
चाहे आप Windows OS का उपयोग कर रहे हो या Linux का या फिर किसी ओर दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम का, आपको अगर किसी सिस्टम को चलाना है तो किसी न किसी OS का उपयोग तो करना ही होगा, क्योंकि बिना किसी OS के कोई भी डिवाइस काम नहीं कर सकता है।
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Reference: https://www.techtarget.com/whatis/definition/operating-system-OS