नमस्कार दोस्तों आज हम इस पोस्ट में MPLS यानि Multi Protocol Label Switching से सम्बंधित कुछ चर्चा करने बाले है। जिस में हम जानेंगे की कंप्यूटर नेटवर्क में MPLS क्या है, MPLS कैसे काम करता है, और MPLS का उपयोग कहाँ किया जाता है? आदि सभी टॉपिक पर हम बात करने बाले है। आगे बढ़ाने से पहले में आपको बता दू की यह MPLS जो है वह Computer Network का ही एक टॉपिक है। तो चलिए शुरू करते है और जानते है MPLS (Multi Protocol Label Switching) के बारे में।
Overview of MPLS (Multi Protocol Label Switching)
MPLS के वारे में जानने से पहले हम यह जान लेते है की आखिर इंटरनेट के जरिए डाटा यात्रा कैसे करता है। तो जब कभी भी किसी प्रकार की कोई ईमेल भेजते है, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या फिर VoIP जे जुड़ते है। तो उस तरक के IP पैकेट्स या डाटा पैकेट्स को उनकी मंजिल तक इंटरनेट राउटर से लेकर भेजा जाता है। इसमें इंटरनेट राउटर को यह तर करना होता है की ये जो डाटा और IP पैकेट्स है उन के हर एक पैकेट्स को कोन से और कैसे IP मंजिल तक भेजा जाए। इसमें हर एक पैकेट्स के लिए decision लेना बहुत जरूरी होता है, और इस decision का पता लगाने के लिए राउटर जो है वह Complex Routing Table को उपयोग करता है।
ये पैकेट्स जिस भी प्रकार के path पर पहुंचते है उससे पहले उसे उस destination तक पहुंचने से पहले तक एक और निर्णय लेने की जरूरत होती है जिसे Forwarding Decision कहा जाता है। इस प्रक्रिया को करते समय जितने भी उपयोगकर्ताओ के द्वारा उस एप्लीकेशन का उपयोग किया जा रहा है उस एप्लीकेशन का performance ख़राब हो सकता है और इस की जो पूरी organization है उस में इस नेटवर्क का असर हो सकता है। तो MPLS (Multi Protocol Label Switching) जो है वह इन organization को नेटवर्क की performance को बढ़ाने के लिए और User Experience को एक बेहतर रूप से अच्छा बनाने के लिए एक option दे का काम करता है।
What is MPLS in Computer Network in Hindi?
MPLS (Multiprotocol Label Switching) जो होती है वह एक तरह से routing technique का ही हिस्सा है। जो नेटवर्क में जो traffic आता है उस की speed और control को बढ़ाता है। Multi Protocol Label Switching (MPLS) में डाटा को किसी एक node से लेकर किसी और दूसरे node तक direct short path labels के आधार पर किया जाता है। Traditional routing जो है उस में long network addresses का उपयोग डाटा के packets को route करने के लिए होता है। जबकि MPLS जो है उस में लेबल्स के जरिए डाटा के packets को path दिया जाता है जो endpoints को छोड़ कर सिर्फ virtual paths को identify करता है। इस प्रकार से MPLS, traffic के flows को तेज बनाने के लिए routing tables के काम्प्लेक्स lookups को avoid करने लगता है जो conventional routing algorithms समय लेता है।
यह जो MPLS है वह Layer 3 यानि Internet Protocol (IP) पर काम करता है जिसके उपयोग से राऊटर से forward होता है। ये सभी तरह के अलग – अलग customers के ट्रैफिक को अलग – अलग करके रखता है और यह कभी – कभी थोड़ा VPN जैसा काम करता है लेकिन इसमें एक कमी है के यह normal VPN की तरह data को encrypt नहीं कर पाता है। इसमें सिर्फ इतना ensure किया जाता है की किसी एक customer का डाटा पैकेट किसी और दूसरे customer तक नहीं पहुँचता है। Packets के अंदर MPLS header को हमेशा layer 2 और 3 इन दोनों के बीच जोड़ा जाता है इसी बजह से MPLS header को layer 2.5 के नाम से भी जाना
Header of MPLS
MPLS header को चार भागो में बाँटा गया है और इस हैडर की लम्बाई 32-bit होती है।
- Label – लेबल MPLS हैडर का सबसे पहला भाग है और इस का जो area है उस की लम्बाई 20-bit होती है और हैडर के इस हिस्से को यह जानकारी होती है की डाटा पैकेट को आगे कान्हा जाना है।
- Exp – इन की लम्बाई 3-bit होती है और इन का उपयोग Quality-of-service (QoS) के लिए किया जाता है। साथ ही ये packets के सबसे पहले level को परिभाषित करते है।
- Bottom of stack (BoS) – इसका साइज 1-bit का होता है ये जो Multi Protocol Label Switching (MPLS) level है वह stack की तरह एक के ऊपर एक होते है। अगर MPLS header सिर्फ एक level बचा हुआ रहता है तो उस level का मान या तो 1 होता है या फिर 0 होता है।
- Time to Live (TTL) – Time to Live (TTL) – MPLS header में TTL की लम्बाई 8-bit होती है और यह नेटवर्क में पैकेट्स को फंसने से रोकने के लिए इसकी हर एक हॉप पर value पहले से कम होती रहती है।
How does MPLS work?
MPLS एक multipoint system बनाता है जिसमें nodes या routers शामिल होते हैं जो data packets, और IP packets, को एक IP से दूसरे IP तक सबसे efficient path पर भेजते हैं। इन पैकेट की Journey एक एंट्री Label Edge Router (LER) से शुरू होती है। जो MPLS Network के एज पर होता है, जहां पैकेट को देखा जाता है और उससे FEC (Forward Equivalence Class) दिया जाता है। इस FEC के आधार पर, पैकेट पर एक label लगा जाता है जो उसके आगे सफर को एक one-directional label-switched path (LSP) के ज़रिये निर्भर करता है।
इसमें जो packets होते है वह कई LSR (Label Switching Router) के जरिए गुजरता है। और हर एक पैकेट्स में router पर, नेटवर्क के Lookup, रूटिंग टेबल या Label Information Base (LIB) पर लेबल लगाया जाता है। और ये जो प्रक्रिया है वह तब तक चलती रहती है जब तक यह पैकेट्स किसी नजदीकी Label Switching Router (LER) पर नहीं पहुँच जाता। यहाँ पर यह LER level को हटा देता है और उन पैकेट्स को उनके destination IP पते की तरफ भेज देता है। कभी – कभी यह कई लेवल मिलकर एक level stack बना लेते है जिसकी सहायता से Transmission होता है वह और भी ज्यादा effective हो जाता है।
इसको हम एक कनेक्टिंग फ्लाइट में लगेज ट्रांसफर की तरह समझते है। जैसे बैगेज हैंडलर हमेशा लगेज पर एक लेबल लगते है जिस पर डेस्टिनेशन के बारे में इनफार्मेशन लिखा रहता हैं। और यह हर step पर label update होता है, ताकि पता चले की luggage को आगे कहाँ भेजना है। आखिर में, ये अपने फाइनल डेस्टिनेशन पर पहुंच जाता है और claim के लिए तैयार हो जाता है।
Where is MPLS Used?
Multi Protocol Label Switching (MPLS) तकनीक का उपयोग आमतौर पर उन कंपनियों द्वारा किया जाता है जिन company’s के पूरे देश भर में या फिर दुनिया भर में फैले हुए अलग – अलग जगह branch और office होती हैं। MPLS इन branch और office को डेटा सेंटर से आसानी से जुड़ने या कंपनी के headquarter या किसी दूसरी branch में उपस्थित एप्लिकेशन का एक्सेस करने में सहायता करता है।
अगर बेसे देखा जाए तो typical IP रूटिंग की तुलना में, MPLS कई ज्यादा अधिक scalable है और काफी ज्यादा बेहतरीन प्रदर्शन और bandwidth प्रदान करता है, और उपयोगकर्ता के अनुभव को भी अच्छा और बेहतर बनता है। हालांकि, यह काफी महंगा है, internationally तोर पर इसे distribute करना बहुत मुश्किल है, लेकिन साथ ही इसमें लचीलापन भी काफी हद तक कम है, जो इसे carrier-agnostic बनाने में बाधा डालता है।
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