नमस्कार दोस्तों आपका हमारी इस ब्लॉग पोस्ट मैं, जिसमे आज हम आपको नेटवर्क सुरक्षा के प्रकार (Types of Network Security in Hindi) के बारे मैं जानेंगे। इस पोस्ट मैं हमने Network Security के करीब पंद्रह प्रकार के बारे मैं लिखा है जिसे आप ध्यान और अंत तक पढ़े।
आज के समय मे वे सभी company और organization जो एक साथ कई सारे डाटा को संभाल रही है, वो सभी उस डाटा को cyber खतरों से बचने के लिए हमेशा कुछ जरूरी protection layers को implement करते है। ये concept जो होता है वह एक broad concept है, जो software और hardware protection के साथ – साथ protocols, configurations, और policies को भी शामिल करता है, ताकि Network Usage, overall threat protection, और access control पूरी तरह secure रहे।
What is Network Security in Hindi?
जिन steps का उपयोग आज के समय में आपके computer data, information और network की integrity और functionality को अच्छी तरह से सुरक्षित रखने के लिए होता है, उसे ही Network security कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहे तो, यह उन सभी actions पर काम करता है, जिन्हे किसी भी तरह के unauthorized access, attacks, और misuse होने से आपके data को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है। इस process में अलग – अलग तरह के tools, policies, और technologies का उपयोग किया जाता है ताकि computer network को अलग – अलग प्रकार के खतरों secure रखा जा सके।
इसका मुख्य Purpose यह होता है की नेटवर्क में जो डाटा move हो रहा है वह safe रहे, और sensitive information hackers और दूसरे खतरों से बचा रहे। इसके अलाबा Network security का एक Purpose यह भी होता है की data privacy और compliance regulations आदि का भी अच्छी तरह ध्यान रखा जाए जैसे – GDPR (General Data Protection Regulation), ताकि आर्गेनाइजेशन legal requirements को follow करे और ग्राहकों का बिश्वास बना रहे।
Types of Network Security in Hindi
Network security के ऐसे कई सारे तरीके होते है, जिन की मदत से हमारे network को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकता है। ये सभी methods हमारे network और डाटा को breaches, invasions, और कई दूसरे खतरों से भी बचाते है। तो उनमें से ही हमने कुछ important types के बारे में नीचे लिखा है जिन की सहायता से आप जान सकते है की कौन – कौन तरीके होते है, जिन की सहायता से हमारे नेटवर्क को secure किया जा सकता है। तो चलिए देखते है और जानते है उन सभी तरीको के बारे में :
VPN (Virtual private network) Security
Virtual private network (VPN) एक यूजर devices और organization के बीच में जो network connection होता है सुरक्षित रखने का काम करता है। जिसके लिए यह एक tunnel को बनाता है जो पूरी तरह से encrypted होती है, जिसमे डाटा सुरक्षित रूप से travel करता है, चाहे फिर नेटवर्क की सुरक्षा कम ही क्यों न हो। Tunneling protocols के जरिए, VPN हमेशा यह ensure करता है की इसमें जो डाटा और information ट्रेवल कर रही है वह protected रहे।
Remote access VPNs की सहायता से, कोई भी employ अपनी company के network को कभी भी और कंही से भी securely access कर सकता है। एक remote-access VPN जो होता है वह आम तौर पर IPsec या फिर SSL (Secure Sockets Layer) protocols का उपयोग करता है ताकि user devices और network दोनों के बीच की communication को आशानि से verify और secure किया जा सके।
Web Security
एक web security का मुख्य काम होता है आपके staff के internet उपयोग को handled करना या फिर उसे संभालना, उन्हें किसी websites के जरिए आने वाले खतरों से सुरक्षित करना, और उन्हें किसी harmful sites तक पहुंचने से रोकना। web security solution आपके web gateway को पूरी तरह से security प्रदान कराता है फिर चाहे वो cloud में हो या onsite में।
इसके अलाबा यह उन steps को भी शामिल करता है, जिनकी सहायता से आपके अपने website को Possible Attacks और vulnerabilities से बचाने में सहायता करता है। यह प्रक्रिया organization के network और devices पर कर्मचारियों के web उपयोग को भी control करती है, साथ ही कुछ जरूरी या specific threats और websites को ब्लॉक करती है, इसके अलाबा यह organization के websites की integrity को भी सुरक्षित रखती है।
Email Security
Email एक तरह से किसी भी network सबसे ज्यादा कमजोर हिस्सा होता है। इसमें employees आए दिन phishing और malware attacks शिकार होते रहते है, जब वह emails में दिए गए अंजान links पर क्लिक करते है, जिस लिंक की सहायता से attackers, employees को बिना पता चले उन की device में malicious software को download कर देते है।
वैसे देखा जाए तो emails जो है वह किसी sensitive data या private information को share करने के लिए एक सुरक्षित तरीका नहीं है, लेकिन कभी – कभी employees इस risk को बिना समझे ही इस में शामिल हो जाते है जिसके कारण वह cyber-crime के शिकार बन जाते है।
Firewalls Security
Firewall एक network security device होता है जो आपको hardware और software दोनों के रूप में देखने को मिल जाते है। ये जो devices होती है वह incoming और outgoing दोनों तरह के traffic पर नज़र रखता है और फिर कुछ security rules के आधार पर यह decide करता है की इस आने – जाने वाले ट्रैफिक को आगे बढ़ने के लिए allow करना है, reject करना है, या फिर उसे हमेशा के लिए block करना है। आज से कई साल पहले जब Firewalls नहीं आया था तब routers पर network security को संभालने के लिए Access Control Lists (ACLs) का इस्तेमाल किया जाता था।
Access Control Security
NAC (Network Access Control) एक ऐसा process होता है जो सिर्फ कुछ selected users और devices को ही network तक पहुँचने की permission देता है। इस process में हर एक user और device की एक – एक करके Identification को verify किया जाता है ताकि इस नेटवर्क में किसी भी तरह के attacker की entry वंही पर रोका जा सके।
NAC में security policies enforce की जाती है, जिससे अगर कोई endpoint compliant नहीं है तो उसकी access को या तो वंही पर रोक दिया जाता है या फिर उस को हमेशा के लिए block किया जा सकता है। ऐसे systems जो होते है वह unauthorized users और devices को access की अनुमति दे देते है, जो पहले से उस नेटवर्क में sanctioned नहीं होते है।
Application Security
आज के समय में Organizations के operations को चलाने वाले applications को मॉनिटर और उन्हें संभालना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है। अब चाहे organization अपने आप खुद से किसी application develop करे या किसी और दूसरे third-party solution को adopt करे, इस प्रोसेस में security को सुनिश्चित करना हमेशा बहुत जरूरी होता है। आज कल के जो modern malware threats है वह ज्यादातर open-source code और containers को target करते है, जो किसी software और application development में अक्सर या ज्यादा तर उपयोग होते है। इसलिए इनकी protection और भी ज़रूरी हो जाती है।
Sandboxing Security
Sandboxing एक cybersecurity technique है जिसमें फाइल्स और code को किसी एक host कंप्यूटर पर चलाया जाता है, जो end-user के operating environment को ही एक सुरक्षित और अलग environment में simulation करता है। इस प्रोसेस में इस बात पर गौर किया जाता है की network पर होने वाले खतरों का असर न हो।
इसमें Sandboxing इस तरह से code या files को monitor करता है की जब वो open होते है और किसी भी harmful activity को identify करने के लिए उन्हें closely observe करता है। इसका मुख्य कार्य यह होता है की किसी भी malicious या harmful code को असली environment सिस्टम में enter करने से रोका जा सके और नेटवर्क पर इसकी बजह से किसी भी तरह का impact ना पड़े।
Network Segmentation
software-defined segmentation के जरिए नेटवर्क ट्रैफिक को आशानी से अलग – अलग categories में organize किया जाता है, जो security regulations को लागू करना आसान बनाता है। अर्थात, ये जो classifications है वह सिर्फ IP addresses पर ही नहीं वल्कि endpoint identity पर भी आधारित होते है, जो access control की precision को बड़ा कर और भी ज्यादा कर देता है। Access permissions को किसी दूसरे factors, location, और role के आधार पर customize किया जा सकता है, ताकि सही लोगों को सही level का access मिले और किसी भी suspicious device को पहचान कर manage और control किया जा सके।
Cloud Network Security
जब कभी भी हम किसी cloud को खरीदते है तो उस समय cloud providers अक्सर एक्स्ट्रा security टूल्स को ऑफर करते है जो उनके cloud environment में security को और भी ज्यादा मज़बूत बनाने में सहायता करते है। यह टूल्स सिर्फ users को अपने individual instances को सुरक्षित करने में सहायता करते है, जबकि ये पूरा cloud infrastructure जो होता है उस की सुरक्षा की जिम्बेदारी cloud providers की ही होती है। उदाहरण के लिए देखे तो, Amazon Web Services (AWS) में अलग – अलग सिक्योरिटी ग्रुप्स होते है जो एक तरह के virtual firewalls की तरह काम करते है, और किसी specific application या resource के incoming और outgoing traffic को नियंत्रण करते है।
Wireless Network Security
Wireless networks हर किसी भी नेटवर्क का बहुत ही ज्यादा risky part होता है, और इनको बहुत ही strong protection और लगातार monitoring की आवश्यकता होती है। Wireless security के best practices के हिसाब से work करना बहुत जरूरी होता है, जैसे की हर Wi-Fi उपयोगकर्ता को service set identifiers (SSIDs) के आधार पर segment करना और 802.1X authentication का उपयोग करना ताकि WI-FI का access हमेशा controlled रहे। इसके अलाबा इसमें effective monitoring और auditing tools का होना भी बहुत ही ज्यादा जरूरी है ताकि wireless network की security बरकरार रहे।
Multifactor authentication (MFA)
MFA (Multi-Factor Authentication) आशान और काफी ज्यादा effective security को measure करने की process है, जो अब बहुत ज़्यादा पॉपुलर हो रहा है। यह network की सुरक्षा को improve करता है क्योकि इसमें यूजर की पहचान को confirm करने के लिए कई सारे यानि multiple factors आवश्यकता होती है। जैसे एक उदाहरण है – Google Authenticator, जो widely used app होता है। यह app one-time security codes को generate करता है, जो हर 30 second के बाद बदल जाता है, जिसको यूजर अपने password को enter करने के बाद enter करता है, ताकि authentication process पूरा हो सके।
Antivirus and antimalware
network security का यह टाइप इस बात का ध्यान रखता है की किसी भी तरह का malicious software जैसे – Trojans, viruses, और worms आदि, network में enter न कर सके और data security को compromise न करें। यह सिर्फ malware की entry को ही नहीं रोकता है, बल्कि इसके अलाबा ये यह भी सुनिश्चित करता है की अगर किसी तरह कोई threat network के अंदर घुस जाता है तो सिस्टम अच्छी तरह से prepare रहे।
Industrial Network Security
जैसे – जैसे industries अपने ऑपरेशन्स को digitize कर रही है वैसे – वैसे, IT, cloud services, और industrial networks का integration, Industrial Control Systems (ICS) को साइबर धमकियाँ के लिए और भी ज्यादा खतरा बना रहे है। इस सभी risks से बचने के लिए, अपने Operational Technology (OT) security का पूरा होना ज़रूरी होता है। इसका यह मतलब है की industrial network को कई अलग – अलग parts में बांटना और OT devices के डाटा को उनके behavior के हिसाब से IT security tools तक पहुँचाना। इससे critical industrial systems को साइबर अटैक्स से सुरक्षित करना और उन्हें अच्छे से monitor करना और भी आसान हो जाता है।
Mobile Device Security
आज कल क्या हो रहा है की ये जो Cybercriminals होते है वह ज्यादातर mobile devices और apps पर ज्यादा focus कर रहे है। आने वाले 2 से 3 सालों के भीतर, ज्यादातर 90% या फिर उससे भी ज्यादा IT organizations अपने corporate applications को personal मोबाइल डिवाइस पर allow कर सकती है। Smartphones और दूसरे mobile devices के लिए बिज़नेस एप्लीकेशन ने इन devices को नेटवर्क सिक्योरिटी का एक सबसे बड़ा पार्ट बना दिया है। यह monitor करना और control करना की कौनसे मोबाइल डिवाइस नेटवर्क को एक्सेस कर रहे है और यह जब connected होते, तब वह क्या कर रहे होते है, modern network security के लिए बहुत ज्यादा ज़रूरी होता है।
Data loss prevention (DLP)
यह tools data के उपयोग को, transmission के दौरान, और stored state में ट्रैक करता है, ताकि potential data breaches को identify और प्रिवेंट किया जा सके। DLP आम तौर पर sensitive और high-risk जैसे डाटा को categorize करता है और employees को उस डाटा को प्रोटेक्ट करने के लिए best practices सिखाता है। जैसे की, एक बेस्ट practice यह है की important फाइल्स को ईमेल attachments के रूप में भेजना avoid किया जाए।
निवेदन : – इस ब्लॉग पोस्ट हमने Network Security के प्रकार के बारे मैं गहराई से बताया है और जो की पड़ने मैं आसान है। हमें आपसे उम्मीद है की आपको हमारी यह ब्लॉग पोस्ट बेहद पसंद आई होगी। अगर फिर भी आपको इस ब्लॉग पोस्ट से सम्बंधित कोई भी समस्या या फिर आपको हमें कोई सुझाव देना हो तो आप हमें कमेंट के जरिये बता सकते हो।